Thursday, November 12, 2009

कभी लगती थी जहां महफिलें ... वहां अब मनसे का दफ़्तर खुल गया है




क्या पता-कल हो न हो!!

___आज ही धाप के एन्जॉय कर लो..........





अजित वडनेरकर
मियांगीरी मत करो मियां


__कई राज ठाकरे घूम रहे हैं हियाँ





मैं हूं राजकुमार ठाकरे


___कर लो , क्या करोगे ?



रश्मि प्रभा..
चाँद रोया !!!

___पर चाँदनी ने चाय नहीं पिलाई


रूप तुम्हारा

__पर्स हमारा...हो के रहेगी अब पौ बारा




खुशदीप सहगल
हम भैंस को माता क्यों नहीं कहते.


___क्योंकि उसका नाम ही भैन है

11 comments:

Anonymous said...

जबर्दस्त, मारक और बेहद रोचक
देखना किसी को हंसते हंसते हार्ट अटैक न हो जाय

अजय कुमार said...

चुटिया खींचने वाली चुटकियाँ

दीपक 'मशाल' said...

Aapki Chittha charcha aur logon se hatke hai, kyonki unme aake jaisi chuteeli chutkiyon ka maza kahan?#
Jai Hind...

Unknown said...

अलबेला जी ने जबर्दस्त चुटकी लिया है और सारे हिन्दी ब्लॉगर्स को मदमस्त कर दिया है!

Kusum Thakur said...

अलबेला जी वाह वाह !!!!

Pramendra Pratap Singh said...

वाह भाई वाह

Tulsibhai said...

" hastey hastey ...dum nikal gaya bahut hi badhiya ..sach kahu to ye chutakiya nahi hai balki chutakiyon ke baap hai aapke chutkule ."

" bahut bahut aabhar aur badhai sir "

------ eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

Udan Tashtari said...

आज ही धाप के एन्जॉय कर रहे हैं...:) .........

मस्त एक लाईना...रोचक, दिलचस्प और मजेदार.

Dr. Shreesh K. Pathak said...

ये अदा तो अलहदा रही..अलबेला...


जी...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वाह खत्री जी!
बड़ा परिश्रम कर रहे हो।
इस पोस्ट में तो आपने
लोटे में समन्दर समा दिया है।

Urmi said...

वाह बड़ा ही मज़ेदार, ज़ोरदार , धमाकेदार और दिलचस्प चुटकियाँ ! मेरे ब्लॉग को शामिल करने के लिए धन्यवाद!